...अच्छी बात नहीं

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM
भावी को ही सोचते चिन्तन करें अतीत
वर्तमान कन्चन करें,माटी मोल क्यों क्यों मीत.
माटी मोल क्यों मीत ,हुआ क्या और क्या होगा
अब के पल के लिए कभी क्या है कुछ सोचा ?
चिंता चूल्हे चन्दन सी काया क्यों डाली
अतीत गया है बीत ,अरे आती रहे भावी .
दीप जीरवी
वर्तमान में जी सखी ,पीड़ा देत अतीत
गुरुजन की वाणी कहे,'मन जीते जगजीत '
मन जीते जगजीत ,अमरवाणी को मान.
मन तू ज्योत स्वरूप है अपना मूल पहचान .
जीवन आग ही नहीं सखी री राग भी जीवन
जीना जीना है तो जी लें आज में जीवन .
दीप जीरवी
नाम रखा के दीप है जलना मेरा काम
आठ प्रहर में निमिष भर ,अब तो नहीं आराम .
अब तो नहीं आराम ,बिना दीदार सजन के .
मन मन्दिर में आन बढाई रे फबन ये .
रसना पर है हर घड़ी ,अब तो श्याम ही श्याम .
धक धक करना भूल ,स्पंदन जपते हैं प्रिय नाम
दीप जीरवी
होगा तो हर एक संग ,पीड़ा भरा अतीत ,
क्यों रोएँ हम उम्र भर ,करकर याद वो मीत ,
कर कर याद वो मीत ,आज में अब में जी लें ,
पीड़ा दे हजार मनवा में कल की कीलें .
वर्तमान में जी ,भावी निर्माण तो होगा
कल की कीलो के कारण,दर्द तो होता होगा .
दीप जीरवी
आंस्तीन में शूल और हाथों में धर फूल ;
मिलते हैं कुछ जगत में ऐसे लोग फ़िज़ूल .
ऐसे लोग फ़िज़ूल कपट में पी .एच .डी. जो ;
स्वार्थ सिद्दी विभाग के होते एच .ओ .डी वो .
सोचते मन में यह फंसें सब बस बातों में.
काठ की पुतली बने रहें इन के हाथों में .
दीप जीरवी
होंठों पर मुस्कान हैं ,ह्रदय बिरहा शूल ;
मिलते हैं कुछ जगत में प्रेम भाव के मूल .
ऐसे लोग हैं जगत में ,प्रेम भाव के मूल .
प्रेम भाव के मूल ,प्रेम गंगोत्री हैं यह .
यही धरा के सूर्य ,सितारे और दिवाकर .
ह्रदय बिरहा शूल जिन के मुस्कान होंठों पर
दीप जीरवी
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