वर्तमान में जी सखी ,पीड़ा देत अतीत
गुरुजन की वाणी कहे,'मन जीते जगजीत '
मन जीते जगजीत ,अमरवाणी को मान.
मन तू ज्योत स्वरूप है अपना मूल पहचान .
जीवन आग ही नहीं सखी री राग भी जीवन
जीना जीना है तो जी लें आज में जीवन .
दीप जीरवी
जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM
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