चलो जी चलो कलम उठाएं;चलो जी चलो कलम उठाएं.
चलो जी चलो कलम उठाएं;
चलो जी चलो कलम उठाएं.
लिख के कविता लेख कहानी,
हम लेखक बन जाएं
तदुपरांत वो बकरा ढूंढें
जिसको लिखा सुनाएं
चलो जी चलो कलम उठाएं.
चलो जी चलो कलम उठाएं.
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कागज़ कलम ; डाक खर्चे की ;
पहले युक्ति लगाएं,
लिख लिख रचनाएँ अपनी ;
अख़बारों को भिजवाएं .
खेद सहित लौटी रचनाएँ
अपने दुखड़े सुनाएं
उन रचनाओं को फिर डाक से
और जगह भिजवाएं
चलो जी चलो कलम उठाएं.
चलो जी चलो कलम उठाएं.
मनवा सोचे चलो किसी भी सहित्य सभा में जाएं ;
अपने मिलें बिरादरी वाले ,सुन लें और सुनाएं;
उठा पटक साहित्य सभा की जब मंचित हो जाएं
लौट ओ बुधु चलो तो घर को ,मनुआ जी अकुलाएं.
चलो जी चलो कलम उठाएं.चलो जी चलो कलम उठाएं.
जस तस कर के छपने लागें;तब तृष्णा बढ़ जाएं ;
अब पुस्तक छपवाने को लो लेखक मन अकुलाएं .
प्रकाशक पूँजी मांगे और तिस पर भी इतराएँ .
"दो शब्द" लिखवाने को फिर लेखक दर दर जाएं
चलो जी चलो कलम उठाएं.चलो जी चलो कलम उठाएं.
"दीप" की पुस्तक के बारे में दो शब्द लिख डाले ;
"अहसानों के गठर" लिख ते ही दीप -सर डाले
निज पुस्तक पे उस के एवज गोष्ठी खट से मांगी ;
साहित्य सभा की गोष्टी पर लो दीप जी जेब कटाएँ
चलो जी चलो कलम उठाएं.चलो जी चलो कलम उठाएं.
लेखन लेखक पाठक त्रय का झालम झोल है बन्धु
लेखक प्रकाशक वितरक में टालम-टोल है बन्धु .
पाठक वृन्द भी चाहें ,पुस्तक प्रेम-भेंट ही पाएं
प्रेम भेंट क्र दीजिये तब भी पन्ना न पलटावें
चलो जी चलो कलम उठाएं.चलो जी चलो कलम उठाएं.
दीप जीर्वी