धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

22 August, 2012

दंत धवल ,और कुंतल श्यामल;
देह धधकता ज्यों बडवानल .

नेत्र मादक मोहक सुंदर ;
काम-रति कुच उत्तम मांसल
.
श्वास श्वास ,सब केशर चन्दन ,
चुनरी भरा तरिका मंडल   .

रस-सागर रक्तिम मनभावन
कटि कमान ,और चितवन चंचल .

दीप शिखा ,हिय वासिनी ,कमलिनी '
अधरामृत अभिलाषी पल पल .

दीप जीरवी

15 August, 2012

INFORMATION IN INTERNATIONAL LANGUAGE FOR ALL MY WELL WISHERS-DEEP ZIRVI

INFORMATION IN INTERNATIONAL LANGUAGE FOR ALL MY WELL WISHERS
-DEEP ZIRVI

friends!

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for different fields of common man and old and new writers

1). FOR THE PEOPLE WHO LIKE TO READ AND WRITE DOHAY,

PLZ SHARE YOUR DOHAY HERE{SPL NOTE,ONLY DOHAY }

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2)MIXED DISCSSION FRANK BUT FAVOURABLE TO HUMANITY...

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3}.
MY OWN CREATIONS FOR MY FRIENDS/FANS/AND/CRITCS..

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14 August, 2012

. भगत सिंह वादी ;या हों वो गांधी वादी ;...

आ गई आज़ादी लो छा गई आज़ादी  पूँजी-शावकों को लो भा गई आज़ादी .
भगत सिंह वादी ;या हों वो गांधी वादी ; देखें वो  पूँजी -सुरसा ,लो खा गई आजादी 'चीन में बना -माल 'पाटे बाज़ारों को ;अमरीकी धौंस हर दिन दबा गई आज़ादी .

लाड चाव पूरे हुए न दुल्हन के ,और देखो कैसे कब से मुरझा गई आज़ादी ,
शिक्षा -चकित्सा-न्याय मुफ्त में मिलेंगे ; तीनों मदों  की कीमत बढ़वा गई आज़ादी .

लोक-लाज,लोकराज मूल भाव भूला ;धन -बाहु-जाति-बल से छाए अपराधी .
फाके धक्के भ्रष्ट-तन्त्र मिला जन गण को ;स्विस बैंक धारकों की आ गई आजादी
दीप जीरवी


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13 August, 2012

gazal







नयन मेरे सपनीले से हैं
तेरे नयन नशीले से हैं.

सूरज का रथ हांकते हान्पें ;
पेंच समय के ढीले से हैं .

क्यों रोई ये रात की रानी
पत्ते इसके गीले से हैं .

अब तक घर में ही बैठी वो ;
माँ-बाप के चेहरे पीले से हैं .

मुठी से ये झर जाएँ गे ;
पल बेशक रेतीले से हैं .

दीप जीरवी

09 August, 2012

हम राह देखते है ..

तेरी बज्म सजाने आएंगे न दोबारा.
मैं रूठ ही न जाऊं ले मुझ को बुला यारा '

पाना जो मुझ को पूरा ,खोना तो पूरा पूरा
टुकड़ों में बंट के जीना ,मुझको नहीं गवारा .

तुम याद आ रहे हो ,मैं याद कर रहा हूँ
तुम ले रहे हो हिचकी ले नाम भी हमारा .

तुम जब लटों में अपनी उंगली फिराओ उस दम.
हम सोचते हैं बरसेंगे मेघ कब यह यारा .

कासिद भी ख़ाली लौटा ,कौआ नहीं है बोला .
हम राह देखते है देखो सनम तुम्हारा .

दीप जीरवी



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08 August, 2012

janam ashtmee vishesh



 मोहन गिरधर मुरली मनोहर ...हरी ॐ
देवकी नंदन  हे बंसी धर ...हरी ॐ

कंस-निकंदन ,नन्द के नंदन
...हरी ॐ
हर ब्रिज वन्दन ,जन जन मन हर 
...हरी ॐ


पांडव  तारक ; दुष्ट  संहारक  ...हरी ॐ
इन्द्रारी ,हे गोवर्धन धर
...हरी ॐ


हे रणछोड़ ,हे माखन-चोर रे ;
...हरी ॐ
राधा हिय मोहन; हे चक्कर-धर
...हरी ॐ

मीरा मन बसिया हे छल-छलिया
...हरी ॐ
गौ धन पालक हे विश्वेश्वर
...हरी ॐ

सांवली काया मोहक माया
...हरी ॐ
नीति-पुरषोत्तम हे परमेश्वर
...हरी ॐ

साधू-सहायक;दुष्ट विनाशक ...
...हरी ॐ
धर्म ध्वज धारक ;हे गोपेश्वर
...हरी ॐ

हे ब्रिजमोहन ,हे रुक्मिणी वर
...हरी ॐ
वासुदेव हे पांचजन्य धर
...हरी ॐ.

कलयुग है यह ;नहीं है द्वापर
...हरी ॐ
मत आना तुम अब धरणी पर
...हरी ॐ

...हरी ॐ...हरी ॐ...हरी ॐहरीहरीहरी


...हरी ॐ...हरी ॐ...हरी ॐहरीहरीहरी
...
हरी ॐ...हरी ॐ...हरी ॐहरीहरीहरी
...हरी ॐ...हरी ॐ...हरी ॐहरीहरीहरी







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http://www.shobana.in/wp-content/uploads/2011/07/krishna-radha.jpg

07 August, 2012



रंग धनक वाले सब फीके फीके रे
उन नयनन में रंग हजारों दीखे रे .

सब ने  बढ़ कर मोल लगाए दुनिया में ;
हम बिन मोल ही होय गये हैं पी के रे .

मन मयूर मदमाता छम छम छम नाचे ;
घन -मनमोहन का सुमुख जब दीखे रे .

नूपुर, गजरा,नथनी,बिदिया   टीका ,मन   ;
पायल बिछुआ घुँघरू हैं सब पी के रे .

मांग सिंधूरी शोभित मन उल्लास भरा ;
सेज सजावें गे मिलकर अब  पी से रे ;

दीप जीरवी