धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

17 December, 2009




03 December, 2009

चाँद तन्हा सा प्यासा औ आवारा क्यों हैं




चाँद तन्हा सा प्यासा औ आवारा क्यों हैं ?
हाल उस का भी मुझ सा ही खुदारा क्यों है .
था हमें नाज़ बहुत आपकी दानाई पर ,
तेरी नादानी से ये हाल हमारा क्यों है .
खत नहीं फोन नहीं कोई भी नाता भी नहीं ,
मेरे दिलबर को मेरा दर्द गवारा क्यों है .
मैं ने माना की जुर्म होता है सच का कहना ;
है जुर्म ये तो जुर्म इतना ये प्यारा क्यों है
दीप जल जायेगा जलता ही चला जायेगा ;
तेरा दीवाना फटेहाल बेचारा क्यों है?

-दीप जीरवी. 


--
deepzirvi9815524600
http://nanhi-minni.blogspot.com/
http://darveshdeep.blogspot.com/
http://chitravli.blogspot.com/
http://wearenotlabrats.blogspot.com/
http://humboleygatobologaykiboltahai.blogspot.com/
http://shabdadiloa.blogspot.com/
http://sahilparbhat.blogspot.com/
http://deepkavyaanjli.blogspot.com/
http://deeepzirvi.wordpress.com/




Labels: