धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

21 October, 2012

कुछ दोहे

अपने    अवगुण  मार  के ...आप  अमर  हो  यार .

आपने  जीते  जी  सुनो ..लो  अपने  अवगुण  मार ...दीप ज़िर्वी




मीत  किताबों   का  कभी  ..मूर्ख  ना  रह  पाए .
जहाँ  स्वयम  पभु  आ  बसें ..पाप  कहाँ   आ  पाए ....


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मित-भाषी  का  बैर  ना  कभी  किसी  से  होए

जैसा  प्राणी आप  हो .. जाने  जग  वो  सोय ...दीप ज़िर्वी
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भावना  के  बिन  शान्ति  और  शान्ति  बिना  सकून
इक  बिन  दूजा  ना  हो  सके  ज्यों  मांस  के  बिना  नाखून ...दीप ज़िर्वी









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खुद  को  बड़ा  जो  मानते .. या  मनवाते  जो  लोग
इक्क  दिन  वो  ही  ओढते ..बदनामी  और  शोक ...दीप ज़िर्वी







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श्रधा  भाव  का  हो  सदा ..हर  युग  ही  कल्याण .
जा  में  श्रधा  राख्यो . हो  जाएँ  उसी  समान .दीप ज़िर्वी





धन वाले  वो  जो  करें  निर्धन  का  कल्याण .
ऐसे  गुण  बिन  धनी  को  कोष  का  सर्प  हेई  मान
... रे  बन्धु  कोष  का  सर्प  ही  मान ..दीप -ज़िर्वी





न  हो   पुष्पित  वाटिका ..मत  हो  मीत  उदास .

सुरभित   कर  दे  जगत  को .दे  मुस्कान  सुवास ...दीप ज़िर्वी

कर लो बात ..

होते थे कभी रूम घरों में कर लो बात 
सिमटे हैं इक रूम में अब घर कर लो बात ..
यादों में वो मोटा खद्दर आता है 
जिसको पहने गुज़रा था 'कल ',कर लो बात ..
दीप जीरवी-9815524600

09 October, 2012

शब्द भाव लय ताल न ,उस पर हूँ स्वर हीन. शरण गहूँ मां शारदा , रखना ममताधीन .


शब्द भाव लय ताल  न ,उस पर हूँ स्वर हीन.
शरण गहूँ मां शारदा , रखना ममताधीन .

शरण तुम्हारे शारदा ,वन्दौ शारदा मात ;
अभयदान चाहूं सदा ,बसौ सदा ही साथ

वन्दन क्रन्दन दीन का .सुन लो आर्त नाद ;
.मस्तिक में ज्योति जगे ,जाग ज्वाला जाग .

शब्द भाव लय ताल  न ,उस पर हूँ स्वर हीन.
शरण गहूँ मां शारदा , रखना ममताधीन .

दीप ज़ीर्वी