धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

23 July, 2009

अभी इश्क के इम्तिहान और भी है ,


अभी इश्क के इम्तिहान और भी है ,
दर्दों के मेले जवां और भी हैं .
नही एक ग़म तेरी फुरकत का जालिम ,
ग़मों वाले मेले यहाँ और भी हैं .
ये पुरनूर चेहरा ये खमदार अबरू
कयामत के जैसे निशाँ और भी हैं .
अभी तो रुको थोडा  ठहरो सुनो तो,
 कलम के अभी तो बयाँ और भी हैं .
चिरागां की खातिर दिए न जलाओ ,
ये अरमान मेरे यहाँ और भी हैं .
तेरा दिल न होगा क्या बेघर रहेंगे?
जहां मैं हजारों मकान और भी हैं .
कोई दीप जलता हुआ साथ रखना ,
घनेरे अँधेरे यहाँ और भी हैं ..
 

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शाख से टूटकर कहाँ आया ,


शाख से टूटकर कहाँ आया ,
बस हवा ले चली जहां चाहा
हम ने देखी हैं वो बहारें भी ,
शफकथों  का था जब घना साया ,
बाग़बान था तो थी बहारें भी ,
अब है गुलशन पे मौत का साया .
पीले पत्तों का कोई दर्द सुने ,
दर्द हद से है अब तो बढ़ आया .
बाग़बान ही कली मसलने लगे ,
दिल बहारों का देखो bhar आया

बडे खामोश रहते हैं अभी हम,


बडे खामोश रहते हैं अभी हम,
सुना है लोग अब भी बोलते हैं .


बडे दिल से लगाकर दिल यहाँ पर ,
सुना है लोग अब दिल तोड़ते हैं


कभी अमुआ की अमराई पे कोयल ,
कुहू कुहु के गाती गीत थी पर ,

'
सुबह की शाख पे बैठी कोयल है ,
नगर में गीत कागा छेडते हैं.


धनक खिलती दिखी थी कल जहां पर ,
आज मरघट सा वो पनघट रुआंसा .


जो बुझाया करे थे प्यास कल तक,
आज वोही क्यों प्यासा छोड़ते हैं


वो सागर रूप के हैं होंगे होंगे ,
कमल तो झील का होता सदा है


हमें अपना बनाने के भरोसे ,
दिला कर खुद भरोसा तोड़ते हैं .


किसी मन्दिर की चौखट पर जलेगा ,
जले गा या किसी मरघट पे फिर भी ,


रहेगा दीप तो हर हाल दीपक ,
जला कर मन-जलाता हैं छोड़ते हैं .
deepzirvi9815524600

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16 July, 2009

drshneey




तन्हाई का कैसा यारो फंडा
कोई कैसे तन्हा भी हो सकता है ?

फूल कही हो खुशबु उसके साथ रहे ,
खुशबू हो जो वो भी हवा के साथ बहे
खुशबु से हम सब का दामन भरता है ,
तन्हाई का कैसा यारो फंडा है ,
कोई कैसे तन्हा भी हो सकता है ?
दिल के साथ है धड़कन ,
आँख के साथ स्वप्न ,
सुखदुख साथ में मिलके बनता है जीवन ।
जीवन धार में मिलके जीवन चलता है ,
तन्हाई का कैसा यारो फंडा है ।
कोई कैसे तन्हा भी हो सकता है ?
दीप के साथ है ज्योति ,
मोती सीप में है
मीठी पीरहा देखिये गीत में है ।
कांटे फूल के साथ हैं
फूल महकता है ।
तन्हाई का कैसा यारो फंडा है
कोई कैसे तन्हा भी हो सकता
है

deepzirvi@yahoo.co.in

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13 July, 2009












दीप्काव्यन्जली , अनुभूतियों को शब्दों का कलेवर दे कर कुछ कहने कि आकांक्षा है कविता को मन में धारण करने वाले सुधि जनो का हार्दिक अभिंदन




१।

मेरा दिलबर हसीन नही बेशक
कोई उस सा कहीं नहीं बेशक


वो कही की नही है शेह्जादी,
वो है दिल की मेरे खुशी बेशक



आँखें उसकी शरबती सही ,

उस की आँखों में हूँ में ही बेशक



उसकी आवाज़ में खनक सही ,

करती है वो मेरी कही बेशक


दीप बन कर कभी जो मैं आया ,

ज्योति बन कर के वो जली बेशक

दीप जीरवी ९८१५५२४६००




2

दिल दिल है शीशा नहीं शीशे से भी नाजुक दिल
ये दिल दिल का साथी है ये दिल दिल का है कातिल

यार तुम्हारी बात कहू यार तुम्ही तो हो मेरे

तुम्ही हो जीवन मेरा ,तुम्ही जीवन का हासिल

तेरे इदल की कहता हू तेरे दिल की सुनता हु

मेरे दिल की जाने , क्यों हो मुझ से तू गाफिल b







3

अकेला नही हूँ पर तन्हा हूँ

दरया होकर भी प्यासा हूँ

मरती चिडिया देखूं रो दूँ ,

बेशक मै सब में हंसता हूँ

तू सेठानी बेशक बेशक ,

मैं याचक दर पर आया हूँ

दाज के लिए दरवाजे पर

बैठी बेटी का पापा हूँ

बूढे बाप के खाली बेटे की

लाश उठाते में हाफा हूँ

श्वासों की हूँ आवागमन मैं

लोथ हूँ , लाश हूँ एक गाथा हूँ










पनघट पनघट वो दिलबर को ढूंढे है ,


पनघट पनघट वो दिलबर को ढूंढे है ,
मर घट मरघट उस को भी है ढूंढ रहा..
दीप जीरवी

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काश हर आह सर्द हो जाये,


काश हर आह सर्द हो जाये,
काश हमदर्द दर्द हो जाये .
अब दवा से मुझे क्या लेना ,
ला- दवा मेरा मर्ज़ हो जाये .
मौत री! ले ले मुझ को दामन में ,
दूर जीवन का कर्ज़ हो जाये .
आंसुओ सूख जाना भीतर ही ,
कहीं जग में न नशर हो जाये .
दीप जीर्वी


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दीपकव्यन्जली

दीप्कव्यन्जली , अनुभूतियों के तेवर और कलेवर समेटने का उपक्रम है , आशा सा विशवास है की मुझे सफलता प्राप्त होगी
सुधि पाठक वृन्द अपना स्नेह आलोचना स्वरूप में देते रहें . धन्यवाद
दीप जीर्वी
 
 

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