धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

23 July, 2009

शाख से टूटकर कहाँ आया ,


शाख से टूटकर कहाँ आया ,
बस हवा ले चली जहां चाहा
हम ने देखी हैं वो बहारें भी ,
शफकथों  का था जब घना साया ,
बाग़बान था तो थी बहारें भी ,
अब है गुलशन पे मौत का साया .
पीले पत्तों का कोई दर्द सुने ,
दर्द हद से है अब तो बढ़ आया .
बाग़बान ही कली मसलने लगे ,
दिल बहारों का देखो bhar आया

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