धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

30 July, 2012

दमक दामिनी देखती देखे दमक विराट
दोए दोए लोचन धार पीऊ, मूंदे नयन कपाट.

 ललना  ले ले लालसा लल्ला लाड लड़ाएं ;
माँ ममता में मुदित मन ,मादकता मन माहें   .

निर्झर निरखे नीर नित ,नित नित निरखे नार ;

निरख निरख नार नीर ने ,निर्झर नथे न धार .

धवल  ध्वजा धर धर्म धन; धन धर धीरे धीर ;

परम प्रिय प्रण-प्राण पण,परखे प्रियवर पीर

दीप जीर्वी

29 July, 2012

कंठ रूंधे ,साज़ चोटिल ,राग है ना गान है .




इसके काँधे उस का सर है ,देह है निष्प्राण है
कंठ रूंधे ,साज़ चोटिल ,राग है ना गान है .

देश मेरा किस दशा  में  आ  पड़ा  है देखिये ;
लोकतंत्र दीखता है ,राजशाही आन है .

ले चले अपने   ही कंधे  सर को अपने  क्यूँ भला?
जब कि अपने सर में कोई सोच है ना जान है. 

बाप दादा ने बनाई औ'  सजाई जो डगर
खून अबका  सोचता है वो डगर बेजान है

होंठ सब सिल  के हैं बैठे भीत के पर कान है
यह  हमारे वक्त की  सब से सही पहचान है .
दीप जीरवी
९८१५५२४६००

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28 July, 2012

सोच है दीप जलाने की जरूरत क्या है ...

१.मैं खफा कब हूँ मनाने की जरूरत क्या है ;
बार हा याद भी आने की जरूरत क्या है .

2.नींद है अब न सही रुक के ही आ जाए गी .
साथ तारों को जगाने की जरूरत क्या है .

३.दिल धडकता है फ़कत नाम उन्हीं का लेकर ;
बात ये उन को बताने की जरूरत क्या है .

४.प्यार इकरार हुआ हो ही गया है जब तो ;
उन को अब दिल की सुनाने की जरूरत क्या है .

५.नूर ही नूर बनी है मेरी राहें उन से ;
सोच है दीप जलाने की जरूरत क्या है .

दीप जीरवी
9815524600

27 July, 2012

मानो तो रूह क़ा नाता है जी ये राखी












































मानो तो रूह क़ा नाता है जी ये राखी
न मानो कच्चा धागा है जी ये राखी .

जो राखी को दम्भ-आडम्बर मानते हैं ;
उन का मन भी तो अपनाता है ये राखी .

बहना के मन से उपजी हर इक दुआ है ये ;
भाई-बहन से बंधवाता है ये राखी .

सभ्य समाज की नींव के पत्थर नातों का ;
आधार बना है ये नाता है ये राखी .

हर
दुःख-सुख  में बहना के संग रहने का
मूक वचन है इक वादा है ये राखी .

जो जो भाई बहन का नाता रखते हैं
उन का मन मन से बंध वाता है ये राखी .

दीप जीरवी


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23 July, 2012

रिश्ते





रिश्ते

उगते रिश्ते ,ढलते रिश्ते ;
रुकते रिश्ते चलते रिश्ते .

मन के रिश्ते मन से रिश्ते
तन के रिश्ते तन से रिश्ते

अपने रिश्ते बनते रिश्ते
सपने रिश्ते तनते रिश्ते .

उसके रिश्ते इसके रिश्ते
रिसते रिश्ते ,घिसते रिश्ते .

शासक रिश्ते शासित रिश्ते ,
बेदम रिश्ते ,बा-दम रिश्ते .

रिश्ते नीरज ,नीरस रिश्ते
रिश्ते सुधा कहीं गरल रिश्ते .

आंगन रिश्ते उपवन रिश्ते ,
हैं धरा जलद गगन रिश्ते .

रिश्ते पूनम क़ा चाँद भी हैं ,
तारे नयनाभिराम भी हैं .

रिश्ते हैं कौर-कलेवा भी
रिश्ते हर  युग क़ा मेवा भी  .

रिश्ते मधु सम मधुरिम रिश्ते ,
सत्यम शिवम सुन्दरम रिश्ते
दीप जीरवी




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20 July, 2012

मन मयूर आतुर दिखै,मेघ दरस को आज ;

मन मयूर आतुर दिखै,मेघ दरस को आज ;
मनहर,मनमोहन नही ,यह जग फ़िर् किस काज ।
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०--
मन -रमना मन में बसो ,नयनन दीख्यो नाहि ;
नयनन के  चातक -युगल,दर्शन स्वाति चाहि ।
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-
'कर' 'कपोल' काञ्चन नही;रूपा भये रे केश ;
ज्योत हीन नयनन तके ,प्रियतम आवो देश ।
-०-०-०-०-०-०- 
आवै न आवै जलद ,बरसे न बरसे मेह्;
बिरह -पावक में जले ,बिरहन का मन - देह ।
दीप ज़ीर्वि