मन मयूर आतुर दिखै,मेघ दरस को आज ;
मन मयूर आतुर दिखै,मेघ दरस को आज ;
मनहर,मनमोहन नही ,यह जग फ़िर् किस काज ।
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०--
मन -रमना मन में बसो ,नयनन दीख्यो नाहि ;
नयनन के चातक -युगल,दर्शन स्वाति चाहि ।
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-
'कर' 'कपोल' काञ्चन नही;रूपा भये रे केश ;
ज्योत हीन नयनन तके ,प्रियतम आवो देश ।
-०-०-०-०-०-०-
आवै न आवै जलद ,बरसे न बरसे मेह्;
बिरह -पावक में जले ,बिरहन का मन - देह ।
दीप ज़ीर्वि
मनहर,मनमोहन नही ,यह जग फ़िर् किस काज ।
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०--
मन -रमना मन में बसो ,नयनन दीख्यो नाहि ;
नयनन के चातक -युगल,दर्शन स्वाति चाहि ।
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'कर' 'कपोल' काञ्चन नही;रूपा भये रे केश ;
ज्योत हीन नयनन तके ,प्रियतम आवो देश ।
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आवै न आवै जलद ,बरसे न बरसे मेह्;
बिरह -पावक में जले ,बिरहन का मन - देह ।
दीप ज़ीर्वि
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