धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

20 July, 2012

मन मयूर आतुर दिखै,मेघ दरस को आज ;

मन मयूर आतुर दिखै,मेघ दरस को आज ;
मनहर,मनमोहन नही ,यह जग फ़िर् किस काज ।
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०--
मन -रमना मन में बसो ,नयनन दीख्यो नाहि ;
नयनन के  चातक -युगल,दर्शन स्वाति चाहि ।
-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-
'कर' 'कपोल' काञ्चन नही;रूपा भये रे केश ;
ज्योत हीन नयनन तके ,प्रियतम आवो देश ।
-०-०-०-०-०-०- 
आवै न आवै जलद ,बरसे न बरसे मेह्;
बिरह -पावक में जले ,बिरहन का मन - देह ।
दीप ज़ीर्वि 

0 Comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home