वो होली क्या थी होली
ये होली अब क्या हो ली
वो होली जब जल अपने थे
जब रहन हुए न सपने थे
जब हरयाली थी हर घर में
मन-खुश-हाली थी हर घर में
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अब जन संसाधन रहन हुए
अब जल संसाधन रहन हुए
अब जल धन दे कर मिलता है
बाज़ार में जा कर मिलता है
वो होली क्या थी होली
ये होली अब क्या हो ली
दीप जीरवी
DEEP ZIRVI
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