भावी को ही सोचते चिन्तन करें अतीत
वर्तमान कन्चन करें,माटी मोल क्यों क्यों मीत.
माटी मोल क्यों मीत ,हुआ क्या और क्या होगा
अब के पल के लिए कभी क्या है कुछ सोचा ?
चिंता चूल्हे चन्दन सी काया क्यों डाली
अतीत गया है बीत ,अरे आती रहे भावी .
दीप जीरवी
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