धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

26 February, 2012

बड़े बड़ाई खुद करे बोलें बड़के -बोल 
'कलयुग' में कंकर कहें लाख तको मोरा मोल .

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ऊंचे पेड़ खजूर के फल लागो अति दूर ;
'कलयुग' मोल खरीद के खाए जात खजूर .
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पलक ढांप तब लेत थे आंखन पिऊ छिपाय;
'कलयुग' उघडे बदन ले अब तितली उड़ जाय.
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बिकती जाने कलम जो महामूर्ख तिन जान .
कलयुग क्या हर युग रहे ,अनमोलक विद्वान .
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'लक्ष्मी ' 'सरस्वती' से कभी चाकरी न करवाय.

सरस्वती लक्ष्मी से अधिक मान धन पर प् जाए .
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दीप जीरवी .

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