भाव निर्झर -१
झूमते पीपल पेड़ तले ;
चांदनी रात सलोनी महके ,
चुपके छुपके ख्वाब पले.
सरगोशी से हवा नशीली ,
कानों में कुछ बात करे ,
हमको हाथ पकड़ ले जाएँ
तेरे सपने चाँद-परे.
आँख मिचौनी खेले जब हम ,
मुझको तेरा साथ मिले
बरसों बीते इस आशा में
विश्वासों के दीप जले
दीप जीरवी
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