धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

03 November, 2011

गज़ल

गज़ल
जुल्फ रुखसार पे जरा बहकी ;
देखिये न तभी हवा बहकी .
यार!मयखाने हैं झुकी पलकें ;
साँस चलती है दिलरुबा बहकी .
मरमरी जिस्म ,उफनता यौवन ;
मेरी नीयत कहा कहा बहकी .
साँस कुछ  तेज़ तेज़ चलती है ;
मोहनी सी यहाँ कला बहकी .
पेड़ लिपटाए गिर्द बेलों को ,
देखिये सोचिये अदा बहकी .
जान-ए-मन,जान-ए-जां,जान-ए-नग्मा;
ताल दे दो जरा जरा बहकी.
 दीप जीरवी