gazal

नयन मेरे सपनीले से हैं
तेरे नयन नशीले से हैं.
सूरज का रथ हांकते हान्पें ;
पेंच समय के ढीले से हैं .
क्यों रोई ये रात की रानी
पत्ते इसके गीले से हैं .
अब तक घर में ही बैठी वो ;
माँ-बाप के चेहरे पीले से हैं .
मुठी से ये झर जाएँ गे ;
पल बेशक रेतीले से हैं .
दीप जीरवी
तेरे नयन नशीले से हैं.
सूरज का रथ हांकते हान्पें ;
पेंच समय के ढीले से हैं .
क्यों रोई ये रात की रानी
पत्ते इसके गीले से हैं .
अब तक घर में ही बैठी वो ;
माँ-बाप के चेहरे पीले से हैं .
मुठी से ये झर जाएँ गे ;
पल बेशक रेतीले से हैं .
दीप जीरवी
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