रंग धनक वाले सब फीके फीके रे
उन नयनन में रंग हजारों दीखे रे .
सब ने बढ़ कर मोल लगाए दुनिया में ;
हम बिन मोल ही होय गये हैं पी के रे .
मन मयूर मदमाता छम छम छम नाचे ;
घन -मनमोहन का सुमुख जब दीखे रे .
नूपुर, गजरा,नथनी,बिदिया टीका ,मन ;
पायल बिछुआ घुँघरू हैं सब पी के रे .
मांग सिंधूरी शोभित मन उल्लास भरा ;
सेज सजावें गे मिलकर अब पी से रे ;
दीप जीरवी
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