धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

30 August, 2011

जनून-ए-इश्क की वहशत में दिल अब खो गया ना ?!


अजी लो आप को भी इश्क देखो हो गया ना .
अजी सुख चैन देखो आप का भी खो गया ना.

बड़ा दावा ,ये कहते थे :कि है ये इश्क क्या शै ?!
अजी लो देखते ही देखते ;दिल तो गया ना .?!

अभी कल ही कहा था आपने जी हमको मजनूं;
जनून-ए-इश्क की वहशत में दिल अब खो गया ना ?!

चिरागां हो सकेगा तब जलाओ दिल ये पहले ;
कहो हम से ही फिर हम से जी कुछ कह दो नया हाँ

तराना प्यार का ;दिलबर ! सुनाओ,हम सुनेंगे ;
सुनेंगे हम फसाना इश्क का ,दिल का बयाँ हाँ .

जलेंगे दीप से जब दीप दिलदारा सुनो ! तो ;
रहेगा तिशनगी का दौर जी फिर तो कहाँ , हाँ ?!
दीपज़ीर्वी 9815524600

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27 August, 2011

आपकी राय का मुन्तजिर दीप जीर्वी






हमे फिर याद आया वो जमाना
हमे फिर याद आया वो जमाना ,किसी के दिल में था अपना ठिकाना .
हुस्न की देवी थी या वो परी थी ,  उस से शरमाया करती चांदनी थी .
उसे अपने से  लगते थे सितारे ,सभी  गुलशन के गुल जिसको थे प्यारे.
सभी उसकी गली के थे दीवाने ,उसीकी और सब के थे निशाने.
जवानी की अजब थी ताजगी वो , हुस्न में थी अजब सी सादगी वो .
कभी मिश्री से बोलों का सुनाना,कभी खुद रूठना खुद मान जाना.
कभी हाथों में ले के हाथ मेरा , दुआ  करना न छूटे साथ मेरा .
कभी बच्चों सी जिद कर रूठ जाना ,कभी पुचकारना उसको मनाना .
कभी, बस जागना,उसको जगाना , लगाकर टकटकी बस देखे जाना. 
वो उस की झील से भी गहरी आँखें , अत्र में डूबी वो मदहोश साँसें .
परी सूरत को पाना चाहता था , उसे घर अपने लाना चाहता था .
मगर ये ख्वाब शीशे से भी नाज़ुक, समय का जब पडा इन पर था चाबुक .
बिखरकर दिल में धसते जा रहे हैं ,जख्म नासूर बनते जा रहे हैं .
उन्हें आवाज़ देना काम मेरा,  सुनी या न सुनी पैगाम  मेरा. 
जला कर दीप उम्मीदों के मैंने ,रखा सम्भाल यादों का खजाना. 
 
 
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ज़माना याद रखे जो ,कभी ऐसा करो यारो .
अँधेरे को न तुम कोसो, अंधेरों से लड़ो यारो .
 
निशाने पे नज़र जिसकी ,जो धुन का हो बड़ा पक्का ;
'बटोही श्रमित हो न बात जाये जो ' बनो यारो .
 
जगत में भूख है ,तंगी - जहालत है जहां देखो ;
करो सर जोड़-कर चारा चलो झाडू बनो यारो .
 
रखे जो आग सीने में, जो मुख पे राग रखता हो ;
अगर कुछ  भी नही तो राग दीपक तुम बनो यारो .
 
 
नदी भी धार बहती है,लहू भी धार बहती है ,
जो धरा प्रेम की लाये वो भागीरथ बनो यारो .
 
धर्म के वास्ते जीना ही जीना ,जान लो सारे;
अगर लड़ना ही लाज़िम हो, नफस से तुम लडो यारो .
दीप जिर्वी  
 
 
आपकी राय का मुन्तजिर दीप जीर्वी   
 

18 August, 2011

सूरजों की बस्ती थी ,जुगनुओं का डेरा है ,

सूरजों की बस्ती थी ,जुगनुओं का डेरा है ,
कल जहा उजाला था अब वहां अँधेरा है.
राह में कहाँ बहके ,भटके थे कहाँ से हम ,
किस तरफ हैं जाते हम , किस तरफ बसेरा है.
आदमी न रहते हों बसते हों जहां पर बुत ,
वो किसी का हो तो हो, वो नगर न मेरा है.
रहबरों के कहने पर रहजनों ने लूटा है ,
रौशनी-मीनारों पे ही बसा अँधेरा है .
मछलियों की सेवा को जाल तक बिछाया है ,
आजकल समन्दर में गर्दिशों का डेरा है.
दीप को तो जलना है,दीप तो जलेगा ही ,
रौशनी-अँधेरे का तो रहा बखेडा है
दीप जीरवी 9815524600

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11 August, 2011

हर तरफ से आ रही कैसी सदा

हर तरफ से आ रही कैसी सदा
चल पड़ी है देखिये कैसी हवा
घुल रही है जिंदगी पलपल मेरी
वो बरस ;बरसों बरस बरसा किया .
धुंधलके में शाम के देखा था कल ;
पल सुनहरा था कोई लटका हुआ .
उस ने काटा सर तो हमने उफ़ न की ;
हम जरा सा छू गए बलवा हुआ .

  आपने पहना जो रेशम हो गया  ;

मुझको समझा टाट का टुकड़ा है क्या
वो फसाना तेरी उल्फत का हसीन
जैसे कतरा     तार पर लटका हुआ .
फासले का फैसला है आपका ;
   दीप से  पर आपने शिकवा
किया

दीपज़ीर्वी

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