धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

27 August, 2011

आपकी राय का मुन्तजिर दीप जीर्वी






हमे फिर याद आया वो जमाना
हमे फिर याद आया वो जमाना ,किसी के दिल में था अपना ठिकाना .
हुस्न की देवी थी या वो परी थी ,  उस से शरमाया करती चांदनी थी .
उसे अपने से  लगते थे सितारे ,सभी  गुलशन के गुल जिसको थे प्यारे.
सभी उसकी गली के थे दीवाने ,उसीकी और सब के थे निशाने.
जवानी की अजब थी ताजगी वो , हुस्न में थी अजब सी सादगी वो .
कभी मिश्री से बोलों का सुनाना,कभी खुद रूठना खुद मान जाना.
कभी हाथों में ले के हाथ मेरा , दुआ  करना न छूटे साथ मेरा .
कभी बच्चों सी जिद कर रूठ जाना ,कभी पुचकारना उसको मनाना .
कभी, बस जागना,उसको जगाना , लगाकर टकटकी बस देखे जाना. 
वो उस की झील से भी गहरी आँखें , अत्र में डूबी वो मदहोश साँसें .
परी सूरत को पाना चाहता था , उसे घर अपने लाना चाहता था .
मगर ये ख्वाब शीशे से भी नाज़ुक, समय का जब पडा इन पर था चाबुक .
बिखरकर दिल में धसते जा रहे हैं ,जख्म नासूर बनते जा रहे हैं .
उन्हें आवाज़ देना काम मेरा,  सुनी या न सुनी पैगाम  मेरा. 
जला कर दीप उम्मीदों के मैंने ,रखा सम्भाल यादों का खजाना. 
 
 
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ज़माना याद रखे जो ,कभी ऐसा करो यारो .
अँधेरे को न तुम कोसो, अंधेरों से लड़ो यारो .
 
निशाने पे नज़र जिसकी ,जो धुन का हो बड़ा पक्का ;
'बटोही श्रमित हो न बात जाये जो ' बनो यारो .
 
जगत में भूख है ,तंगी - जहालत है जहां देखो ;
करो सर जोड़-कर चारा चलो झाडू बनो यारो .
 
रखे जो आग सीने में, जो मुख पे राग रखता हो ;
अगर कुछ  भी नही तो राग दीपक तुम बनो यारो .
 
 
नदी भी धार बहती है,लहू भी धार बहती है ,
जो धरा प्रेम की लाये वो भागीरथ बनो यारो .
 
धर्म के वास्ते जीना ही जीना ,जान लो सारे;
अगर लड़ना ही लाज़िम हो, नफस से तुम लडो यारो .
दीप जिर्वी  
 
 
आपकी राय का मुन्तजिर दीप जीर्वी   
 

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