जनून-ए-इश्क की वहशत में दिल अब खो गया ना ?!
अजी लो आप को भी इश्क देखो हो गया ना .
अजी सुख चैन देखो आप का भी खो गया ना.
बड़ा दावा ,ये कहते थे :कि है ये इश्क क्या शै ?!
अजी लो देखते ही देखते ;दिल तो गया ना .?!
अभी कल ही कहा था आपने जी हमको मजनूं;
जनून-ए-इश्क की वहशत में दिल अब खो गया ना ?!
चिरागां हो सकेगा तब जलाओ दिल ये पहले ;
कहो हम से ही फिर हम से जी कुछ कह दो नया हाँ
तराना प्यार का ;दिलबर ! सुनाओ,हम सुनेंगे ;
सुनेंगे हम फसाना इश्क का ,दिल का बयाँ हाँ .
जलेंगे दीप से जब दीप दिलदारा सुनो ! तो ;
रहेगा तिशनगी का दौर जी फिर तो कहाँ , हाँ ?!
दीपज़ीर्वी 9815524600
Labels: गजल
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