धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

20 August, 2009

फिर वतन से ...


[१ ]
फिर वतन से ...
फिर वतन से आई महकी-महकी हवा ..
 
मन-चमन में छाई महकी-महकी हवा ..
 
इस हवा में है बहनों का निश्छल मोह
 
इस हवा में है घुली माँ की आशीष
 
इस हवा में है बापू की पगडी की चीख .
 
इस हवे में मेरी  भाभियों के मजाक ;
 
राह  तकते हुए सिधूरी सूरज की टीस;
 
इस हवा में है भाई -बांधव की चाह .
 
फिर वतन से आई महकी-महकी हवा ..
 
मन-चमन में छाई महकी-महकी हवा ..
 
दीप जीर्वी

 

--
deepzirvi9815524600
http://deepkavyanjli.blogspot.com

Labels:

0 Comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home