धनक -THE RAIN BOW

जीवन अनेक रंगों में रंगा मिलता है ;जीवन रंगो में रंगे धनक को सुधि पाठकों के लिए समर्पित करता हूँ ; धन्यवाद DHANAK.THERAINBOW KITAB PAANAY KE LIYE SAMPRK KREIN 9814087063 EMAIL I.D. IS DHANAKTHERAINBOW @GMAIL.COM

15 November, 2009

बिरहा अग्नि



बिरहा अग्नि
सुंदर छटा बिखरी उपवन में
खुशबु भरी मदमस्त पवन में
अजब सोच है मेरे मन में
सजन संग आज मिलन होगा
बलम संग आज मिलन होगा
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मैं चातक हूँ स्वाति साजन ,
मैं मयूर सावन है साजन ,'
दीप हो तुम तो स्वाति मैं हूँ
जो तुम सीप तो मोती मैं हूँ ,
हूँ मैं चकोर तेरी मेरे चंदा
क्यों चकोर से दूर है चंदा
वन उपवन सब झूम रहा है ,
मस्त पवन भी घूम रहा है
जाने क्यों मेरे नयनों को
दर्द जिगर का चूम रहा है .
जाने क्यों युगों से चातक
स्वाति खातिर घूम रहा है .
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सावन आया अबकी साजन
मन मयूर पर न झूमा
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चातक को बिन स्वाति कुछ न सुहाए
 जैसे.
मनमीत बिना मुझको भी कुछ न भाए
वैसे .
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जाने कब उन का दरस होगा
जाने वो कौन दिवस होगा .
दरस करन कि खातिर साजन
खुले है मरकर भी ये नयन .
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इंतज़ार इतना कौन करे गा
बिरहा की अग्नि में कौन जले गा
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दीप जीर वी
९८१५५२४६०० 





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